Sunday 8 May 2016

'मेरा भी दिल टूटा है, मुझे भी काम नहीं मिला,'

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हाल ही में मुंबई में एक जानी मानी टीवी अभिनेत्री प्रत्युषा बैनर्जी ने आत्महत्या कर ली। प्रत्युषा की मौत की वजह अभी भी स्पष्ट नहीं है और न ही मैं इस बारे में ज़्यादा जानती हूं, लेकिन पैसे और काम की तंगी को भी इसकी एक वजह माना जा रहा है।


ग्लैमर इंडस्ट्री में काम की कमी, हमेशा खुश रहने का दबाव और सबसे अच्छा दिखने की होड, कलाकारों पर एक खास दबाव पैदा कर देता है। अभिनेत्रियों पर यह दबाव और ज्यादा होता है। प्रत्युषा अकेली नहीं है, पिछले साल दीपिका पादुकोण के भी अवसाद में रहने की बात सामने आई थी।

इस इंडस्ट्री में कई लोग हैं, जिन्हें मैंने डिप्रेस होते देखा है। मैं भी ऐसे समय से गुजरी हूं, जब मुझे लगा कि मुझे जीवित नहीं रहना चाहिए। मेरा भी दिल टूटा है, मुझे भी काम नहीं मिला है। लेकिन मैंने जिंदगी का एक ही उसूल माना है कि आज जो चीज बहुत दुःख दे रही है, पांच दिन, पांच हफ्ते या पांच साल के बाद उतना दुःख नहीं देगी।

यही आजकल के युवाओं को समझने की जरूरत है, क्योंकि भारत में हम तय नहीं कर पा रहे हैं कि हम मॉर्डन रहें या ट्रेडिशनल ही रहें। हम अंग्रेजी बोलकर और जींस पहनकर, खुद को मॉर्डन मान लेते हैं, लेकिन लोग क्या कहेंगे, हमें इसकी भी चिंता होती है।

आज भी एक लडकी को पूरी तरह औरत बनने के लिए शादी करके मां बनना जरूरी है। यही सोच है, जो हमारे युवा समाज को फिर वहीं ला देती है, जहां से निकल आने की हम बाते करते हैं।
Note This News From : http://www.amarujala.com/entertainment/bollywood/nandita-das-talking-about-depression-in-film-stars

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