Monday 9 May 2016

महाराणा प्रताप का इतिहास

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पूरा नाम – महाराणा प्रताप
जन्म   –  9  मे, 1540
जन्मस्थान – कुम्भलगढ़ दुर्ग
पिता  – राणा उदय सिंह.
माता – महाराणी जयवंता कँवर
विवाह Wives of Maharana Pratap – उन्होंने 11 शादियाँ की थी – महारानी अजब्धे पंवार, अमरबाई राठौर, शहमति बाई हाडा, लखाबाई, जसोबाई चौहान और 6 पत्निया.
संतान Son of Maharana Pratap  – अमर सिंह, भगवान दास और 17 पुत्र

महाराणा प्रताप का इतिहास – Maharana Pratap History In Hindi

बचपन से ही महाराणा प्रताप साहसी, वीर, स्वाभिमानी एवं स्वतंत्रताप्रिय थे. सन 1572 में मेवाड़ के सिंहासन पर बैठते ही उन्हें अभूतपूर्व संकोटो का सामना करना पड़ा, मगर धैर्य और साहस के साथ उन्होंने हर विपत्ति का सामना किया. मुगलों की विराट सेना से हल्दी घाटी में उनका भरी युद्ध हुआ. वहा उन्होंने जो पराक्रम दिखाया, वह भारतीय इतिहास में अद्वितीय है, उन्होंने अपने पूर्वजों की मान – मर्यादा की रक्षा की और प्रण किया की जब तक अपने राज्य को मुक्त नहीं करवा लेंगे, तब तक राज्य – सुख का उपभोग नहीं करेंगे. तब से वह भूमी पर सोने लगे, वह अरावली के जंगलो में कष्ट सहते हुए भटकते रहे, परन्तु उन्होंने मुग़ल सम्राट की अधीनता स्वीकार नहीं की. उन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना जीवन होम कर दिया.

यद्दपि महाराणा प्रताप शक्तिशाली मुगलों को पराजित नहीं कर पाए, पर उन्होंने वीरता का जो आदर्श प्रस्तुत किया, वह अद्वितीय है. उन्होंने जिन परिस्थितियों में संघर्ष किया,वे वास्तव में जटिल थी, पर उन्होंने हार नहीं मानी. यदि राजपूतो को भारतीय इतिहास में सम्मानपूर्ण स्थान मिल सका तो इसका श्रेय मुख्यत: राणा प्रताप को ही जाता है. उन्होंने अपनी मातृभूमि को न तो परतंत्र होने दिया न ही कलंकित. विशाल मुग़ल सेनाओ को उन्होंने लोहे के चने चबाने पर विवश कर दिया था. मुगल सम्राट अकबर उनके राज्य को जीतकर अपने साम्राज्य में मिलाना चाहते थे, किन्तु राणा प्रताप ने ऐसा नहीं होने दिया और आजीवन संघर्ष किया.
मुग़ल साम्राज्य का सूर्य तो डूब गया, किन्तु राणा प्रताप की गौरवगाथा आज भी गायी जाती है. कर्नल टॉड सहित कई विदेशी इतिहासकारो ने उनके स्वाभिमान की प्रशंसा की है. कहा जाता है की राणा के देहांत की खबर पाकर स्वयं अकबरकी आखें डबडबा आई थीं.
महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास के एक अत्यंत गौरवशाली पात्र है. उनके त्याग, शौर्य और राष्ट्रभक्ति की तुलना किसी से नहीं की जा सकती. वह आज भारत में शौर्य, साहस और स्वाभिमान का प्रतीक बन गये है.
मृत्यु (Death) – 57 साल की उम्र में वह स्वर्ग सिधार गये.
Maharana Pratap Horse :- चेतक  Chetak
चेतक की विरता पर –
रण बीच चोकड़ी भर-भर कर चेतक बन गया निराला था
राणाप्रताप के घोड़े से पड़ गया हवा का पाला था,
जो तनिक हवा से बाग़ हिली लेकर सवार उड़ जाता था
राणा की पुतली फिरी नहीं,तब तक चेतक मुड जाता था.

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