Sunday 8 May 2016

स्त्री हो या पुरुष, इन लोगों के बीच में से नहीं निकलना चाहिए

By on 05:18
आचार्य चाणक्य ने सुखी और श्रेष्ठ जीवन के लिए कई नीतियां बताई हैं, आज भी यदि इन नीतियों का पालन किया जाए तो हम कई परेशानियों से बच सकते हैं। यहां जानिए चाणक्य की एक नीति जो स्त्री और पुरुष, दोनों को ही ध्यान रखना चाहिए। इस नीति में बताया गया है कि हमें कुछ लोगों के बीच में से नहीं निकलना चाहिए, यदि इस नीति का ध्यान नहीं रखा जाता है तो हमारी प्रतिष्ठा कम हो सकती है।
 
चाणक्य कहते हैं कि-
“विप्रयोर्विप्रवह्नेश्च दम्पत्यो: स्वामिभृत्ययो:।
अन्तरेण न गन्तव्यं हलस्य वृषभस्य च।।
 
इस श्लोक में आचार्य ने सबसे पहले बताया है कि जब दो ब्राह्मण या ज्ञानी लोग बात कर रहे हों तो उनके बीच में से निकलना नहीं चाहिए। एक पुरानी कहावत है ज्ञानी से ज्ञानी मिलें करें ज्ञान की बात। यानी जब दो ज्ञानी लोग मिलते हैं तो वे ज्ञान की बातें ही करते हैं। इसीलिए ऐसे समय में उनके बीच में से निकलकर उनकी बातचीत में रुकावट नहीं बनना चाहिए।
 
ब्राह्मण और आग
यदि किसी जगह कोई ब्राह्मण अग्नि के पास बैठा हो तो इन दोनों के बीच में से भी नहीं निकलना चाहिए। ऐसी परिस्थिति में यह संभव है कि वह ब्राह्मण हवन या यज्ञ कर रहा हो और हमारी वजह से उसकी पूजा में परेशानी हो सकती है। पूजा अधूरी रह सकती है।
 
मालिक और नौकर
जब मालिक और नौकर बातचीत कर रहे हों तो उनके बीच में से भी निकलना नहीं चाहिए। हो सकता है कि मालिक अपने नौकर को कोई जरूरी काम समझा रहा हो। ऐसे समय पर यदि हम उनके बीच में से निकलेंगे तो मालिक और नौकर की बातचीत पूरी नहीं हो पाएगी।
 
पति और पत्नी
यदि किसी जगह पर पति-पत्नी खड़े हों या बैठे हों तो उसके बीच में नहीं निकलना चाहिए। यह असभ्यता कहलाती है। ऐसा करने पर पति-पत्नी का एकांत टूट जाता है। संभव है कि एकांत में पति-पत्नी घर-परिवार की किसी गंभीर समस्या पर कोई बात कर रहे हों या निजी बातचीत कर रहे हों तो हमारी वजह से उनके निजी पलों में परेशानियां हो सकती हैं।
 
हल और बैल
यदि कहीं हल और बैल एक साथ दिखाई दें तो उनके बीच में से भी नहीं निकलना चाहिए। यदि इनके बीच में निकलने का प्रयास किया जाएगा तो चोट लग सकती है। इसीलिए हल और बैल से दूर रहना चाहिए।


 
इस प्रकार श्लोक में बताया गया है कि दो ज्ञानी लोग, ब्राह्मण और अग्नि, मालिक और नौकर, पति और पत्नी, हल और बैल के बीच में नहीं निकलना चाहिए।
 
आचार्य चाणक्य का संक्षिप्त परिचय
भारत के इतिहास में आचार्य चाणक्य का महत्वपूर्ण स्थान है। एक समय जब भारत छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित था और विदेशी शासक सिकंदर भारत पर आक्रमण करने के लिए सीमा तक आ पहुंचा था, तब चाणक्य ने अपनी नीतियों से भारत की रक्षा की थी। चाणक्य ने अपने प्रयासों और अपनी नीतियों के बल पर एक सामान्य बालक चंद्रगुप्त को भारत का सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य बना दिया और अखंड भारत का निर्माण किया।

चाणक्य के काल में पाटलीपुत्र (वर्तमान में पटना) बहुत शक्तिशाली राज्य मगध की राजधानी था। उस समय नंदवंश का साम्राज्य था और राजा था धनानंद। कुछ लोग इस राजा का नाम महानंद भी बताते हैं। एक बार महानंद ने भरी सभा में चाणक्य का अपमान किया था और इसी अपमान का बदला लेने के लिए आचार्य ने चंद्रगुप्त को युद्धकला की शिक्षा दी थी। चंद्रगुप्त की मदद से चाणक्य ने मगध पर आक्रमण किया और महानंद हराया।

आचार्य चाणक्य की नीतियां आज भी हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। जो भी व्यक्ति इन नीतियों का पालन करता है, उसे जीवन में सभी सुख-सुविधाएं और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

0 comments:

Post a Comment